आखिर वो सपने ही तो है, जो हमारी ही पलकों में पलते हैं, और सुबह होते ही निकल जाते हैं आखिर वो सपने ही तो है, जो हमारी ही पलकों में पलते हैं, और सुबह होते ही निक...
यथार्थ की कड़वाहट को भूल स्वप्न देखने की बारी आई है। यथार्थ की कड़वाहट को भूल स्वप्न देखने की बारी आई है।
दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने
शब्बा खैर ! शब्बा खैर !
भूल मत पर रात तो खुद एक टीका है, वो चाँद ही है जिसे लगता है ग्रहण...! भूल मत पर रात तो खुद एक टीका है, वो चाँद ही है जिसे लगता है ग्रहण...!
सूरज की किरणों को एकनई दुल्हन की तरह सजा कर लाती है... सूरज की किरणों को एकनई दुल्हन की तरह सजा कर लाती है...